देश की सत्ता हमें आपस में धर्म के नाम पर लड़ाती हैं । जब कभी देश मे साम्प्रदायिक दंगे नहीं होते है तो इन्हें ऐसा लगता है कि शायद उनका समय बेकार जा रहा हैं । कहने को लोकतन्त्र प्रणाली मे जनता द्वारा किया गया शासन चलता है । लेकिन कई बारी उसी के शासन में उसे गिड़गिड़ाते देखा गया है । उसी के शासनकाल में उसे पीटते हुए देखा गया हैं । हमारी सभ्यता , विदेशी सभ्यताओं से दबी कुचली पडी है । जिस सभ्यता को 347 सालों मे अंग्रेज नहीं मिटा पाये । आज हम उसकी चिन्ता ही नहीं करते । साम्प्रदायिक सौहार्द को ताक पर रखकर हम मजहबी हिंसा पर उतर आये हैं । हाँ हमारी संस्कृति जंगली थी , लेकिन उसी जंगल में रहकर हमारे मनीषियों ने पूरी दुनिया को ज्ञान बाँट कर विकास के मार्ग पर बढने की बात की । भारत का पतंजलि दुनिया को योग सिखाता है । भारत का सुश्रुत शल्यचिकित्सा को प्रतिपादित कर पूरे विश्व पर एहसान करता हैं । भारत का आर्यभट्ट दुनिया को 9 के आगे की गिनती सिखाता हैं । भारत का धुरंधर विवेकानन्द जब शिकागो मे भाषण देता है तो दुनिया के सारे धर्म उसके सामने घुटने टेक देते हैं ।
भारत का एक ब्रिगेडियर हनुमान जब लंका में सीता माता का अपमान होता हुआ देखता है ,तो पूरी लंका को जलाकर राख कर देता हैं । हमारे यहाँ की प्रतिभाओं का सामना कर पाना मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन है । हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिये ।
भारत के ऋषि कणाद ही सबसे पहले परमाणु का जिक्र करते हैं । भारत के जगदीश चन्द्र बोस ही सबसे पहले वनस्पतियों की भावनाओं को समझते है । भारत के ऋषि भारद्वाज पहली किसी समिति मे विमान की बात करते हैं ।
आज किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे है । पिछले तीन दशको में लाखों किसानो ने आत्महत्याए की ।लेकिन यह भारत भूमि इतनी उपजाऊ है कि –
भारत ही एक ऐसी धरती
मिलती जिससे चौसठ भिन्न ।
हर धर्म , विविधता होते भी
एकता मे बसते नित नव मन ।