कबीरा खड़ा बाजार मे , लिए लुकाठी हाथ ।
जो घर जारो आपनो ,चल्यो हमारो साथ ।।
बनारस का कबीर यह साबित कर देता है कि बनारस का एक अनपढ़ जो बातें बता देता है आज लोग उनकी लाइनो पर पी.एच.डी. करते हैं ।
बनारस एक से एक धुरंधरो को पैदा करने वाली धरती हैं । बनारस में हिन्दी खडी बोली और भारतीय पत्रकारिता को एक नई दिशा देने वाले भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पैदा हुए ।
सोजे वतन लिखने वाले प्रेमचन्द्र , जिनकी इस किताब को अंग्रेजो ने जला दिया था , बनारस के लमही मे पैदा हुए थे ।
जयशंकर प्रसाद जिनकी कामायनी विश्व प्रसिद्ध हैं , बनारस मे ही पैदा हुए थे । यह वही बनारस है जहाँ महान शिक्षाविद् पं मदन मोहन मालवीय जी ने इसे शिक्षा का अद्वितीय केन्द्र बनाया ,बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना करके ।