भारत की आबोहवा कभी ऐसी थी कि पूरी दुनिया ने इस देश के विचारवान , धैर्यशाली , कर्मठी , प्रतिभाशाली धुरंधरो को अपना बनाना चाहा । लेकिन मातृभूमि से अपार स्नेह ने उन्हें इस धरा से जोड़े रखा । भारत माँ को गुलामी की जंज़ीरो से मुक्त करने के लिए उसके सपूतो ने अपने जान की परवाह तक नहीं की । देश की स्वतंत्रता आंदोलन में देश के स्वाभिमानी वीरो ने भारत माँ की रक्षा के लिए अपनी खुद की माँ से कैसे नाता तोड़ा होगा ,इसका अन्दाजा लगाना भी कितना मुश्किल हैं । आज स्वतंत्र भारत मे भी लोग अपना जीवन खुशहाली से बिताये । इसके लिए सीमा पर देश के जाबाज सेनानी अपने प्राणो की आहुति देने में कभी कतराते नहीं ।
लेकिन शायद उनकी कुर्बानी को इस उत्तर आधुनिक काल मे कोई तवज्जो नही दिया जा रहा । अगर हम अपने भारत का पक्ष नहीं रखेंगे तो कौन रखने आयेगा ? हर ओर अवसरवादी प्रवृत्ति के लोग फैले है ।जिनको बस अवसर देखकर अपना स्वार्थ साधना पड़ा रहता है । कुछ लोगो को राष्ट्रप्रेम से इतना परहेज़ हो गया है कि अब देश छोड़ने की बात कर रहे हैं ।
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