शायद यह मेरा सौभाग्य ही हैं कि मुझे स्मृति दी का अपार स्नेह मिला । हाँ , एक बात और यह भी हो सकता है कि मै जबरन उनके ऊपर यह संबंध थोप रहा हूं । लेकिन संभवतः ऐसा नहीं होना चाहिए । क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है । मै यह भी जानता हूं कि मै शायद उनकी कृपा के लायक भी नहीं हूं । मेरा भरसक प्रयास था कि मेरे कारण किसी को किसी भी प्रकार कि दिक़्क़त नहीं होनी चाहिए । लेकिन मुझे जरूरी यह लगा कि मुझे उनकी नेतृत्व की आवश्यकता है ।