जब इस देश में बात होती हैं , ऊर्जा संरक्षण की तो हमारे यहाँ का शासन मौन हो जाता हैं । ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 तो बना दिया गया । लेकिन आज उसके 14 वर्ष होने के बावजूद लोग उसके प्रति कितने जागरुक हुए हैं ? जब भी देश में एक छोटा सा योजना लाया जाता हैं , राजनेता ऐसे इतराते हैं कि जैसे उन्होनें कोई बड़ा काम कर दिया हैं । लेकिन परदें के पीछे की सच्चाई कुछ और ही हैं ।
जिस प्रकार देश ने 1970 में ऊर्जा संकट को झेला था । हमारे यहाँ की व्यवस्था की लापरवाही के कारण हमे फिर से उसी संकट को झेलना पड़ सकता हैं ।
आज देश के ऊपर ऐसी समस्या दस्तक देने वाली हैं , जिसका कारण यहीं है कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था ने तमाम योजनाओं का खाका तो लाकर रख दिया , लेकिन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन न करने के कारण इसे सफलता नहीं मिल पायी ।