मै झाडू हूं । मै सफाई का दावा करने वाला झाडू हूं । मै वहीं हूं , जिसको हाथ में लेकर कई राजनेताओं ने इसे औजार के रुप में इश्तेमाल किया और अपनी काया पलट की । कुछ ने तो मेरे बदौलत देश में एक ऐसा माहौल पैदा कर दिया , कि छोटे – बड़े सभी ने एक साथ देश की सफाई का बेड़ा अपने सिर पर लिया। एक नई राजनीतिक पार्टी ने तो मुझे अपने शस्त्रागार के रुप में इश्तेमाल भी किया । उस वक्त मुझे भ्रष्टाचार निरोधी झाड़ू होने का संज्ञा भी मिला । कितने ने तो मुझे हाथ में लेकर अपने साफ सुथरे होने का दावा भी किया ।
कुछ लोग पकड़े भी गये , क्योंकि उन्होनें मुझे हाथ में लेने से पहले कूड़ा खुद फैलाया था । पर , मुझे अफसोस इस बात की हैं कि आज देश की राजधानी में ही मेरे होते हुए कचरा पसरा पड़ा हैं ।
जब कुछ लोगो ने आज मेरे विरोधी कचडे़ को मनीष सिसोदिया के आवास पर फेकना शुरू किया । तो उन्होनें सारी गलती निगम के सिर पर मड़ दिया ।
मुझे लगा कि शायद वे मेरा जिक्र करेंगे । लेकिन उन्होनें किसी आधार पर मेरा नाम लेना सही नहीं समझा , अब ना तो मै सफाई की मुहिम बन सका और ना ही भ्रष्टाचार विरोधी हथियार ।