कितने ऐसे लोग हैं जो धर्म को राष्ट्रहित के बीच में कभी भी नहीं आने देंगें ? मै जानता हूं ऐसे लोगो की संख्या बहुत कम हैं , लेकिन राष्ट्रवाद या Nation First की अवधारणा यहीं कहती हैं कि जो कुछ भी राष्ट्रीय एकता , अखण्डता , आपसी सौहार्द , मानवता , भाईचारा को गलत ठहराने की कोशिश करें ! वह अपनाने लायक नहीं हैं । और जो शिक्षा , विचार , दर्शन , ज्ञान , उपदेश , धर्म अपनाया ना जा सके ! उसका कोई मतलब नहीं होता ।
मेरा मानना हैं कि देश रहेगा , तभी तो हम शांति के साथ बड़ी – बड़ी बातें कर पायेंगे । धर्मो पर नुमाइंदगी करने वाले मक्कारों को सोचना चाहिए कि यह भारत भूमि कितनी पवित्र और पाख है , जिसने कुछ अच्छी बातों और विचारों को धर्म बनने का मौक़ा दिया । धर्म के नाते देश नहीं हैं । देश है इसलिए धर्म पर ठेकेदारी चलायी जा रही हैं ।
Abhijit Pathak