भारत में समस्याओं का खाका इस कदर बढ़ा हैं कि उसे एक लेख में बता पाना संभव नहीं लगता ।एक बात और बता देना चाहता हूं कि कभी भी समस्या एकल नहीं होता हैं । इसलिए यहाँ इस समस्या का कत्तई जिक्र नहीं करुंगा जिसमें मै यह बताऊ कि एकतरफा प्यार में अधिकांश युवा ख़ुदकुशी कर लेते हैं वगैरह ।
समस्या कब जाकर व्यापक होती हैं जब उसमें समाधान या उसे जड़ से मिटाना कठिन सा लगने लगे ।
समस्या का निपटारा करने वाले उसे आसानी से कर पाये तो ऐसी समस्या को व्यापक समस्या नहीं कहा जायेगा ।
दुनिया के किसी भी समस्या का जन्म कैसे होता हैं ? जब वह समस्या किसी देश का हालत बिगाड़ दे । जब उसके आने से आर्थिक , सामाजिक और नैतिक पटल को दिक़्क़तों का सामना करना पड़ जाये । लेकिन दुनिया की सभी समस्याओं का एक समाधान होता हैं जिससे उसका निपटारा किया जा सके ।
अब अगर समस्या बनी रहती हैं तो , या तो उसपर गंभीरता नहीं दिखायी गयी । या फिर इसके पीछे कही ना कही भ्रष्टाचार को पनपने का मौक़ा दिया जा रहा हैं ।
Abhijit Pathak