जी हाँ अब तक तो आप सभी इस बात से वाकिफ हो ही गए होंगे । अरे किंगफिशर और माल्या से । बताइए देश का एक गरीब किसान अगर 40 – 50 हजार रुपये कर्ज ले लेता हैं तो इन बैंकों की हालत गंभीर होने लगती हैं , नोटिस भेजना ,बुलाकर धमकाना यहां तक की अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ा जाता हैं । लेकिन जब बात आ जाती हैं माल्या साहब की तो इनकी हेकड़ी शांत सी हो जाती हैं । आखिर क्या वजह हैं कि निर्बल पर सारे बलवान अपने पहलवान होने का दावा करते हैं बहुत पहले ही रहीमदासजी ने कहा था –
दुर्बल को न सताइये ,
जाकी मोटी हाय ।
सरकार से लेकर कर्मचारी , पूंजीपति तक की दाल गरीबाें ,किसानों और बेबस जनता के यहाँ ही क्यों गलती हैं । सबकी जोर आज़माइश इन्हीं तक क्यों सीमित हैं । आज इनके साथ खड़ा होने को कोई नहीं हैं ।
देश की मीडिया भी किसानों की सच्ची तस्वीर टीवी पर लाने में नाकामयाब हैं । हाँ इतना जरुर दिखाया जा रहा हैं कि इस वर्ष किस प्रदेश में कितने किसान आत्महत्या कर लिए ।
छोड़िए मै भी कहां से कहां आ गया । बात हो रही हैं काला धन वापस लाने की लेकिन मै कहता हूं पहले सफेद धन तो वापस लाये सरकार ,जो माल्या जी ने भारतीय बैंको से कर्ज़ के रुप में ले रखा हैं।
Abhijit Pathak