शशि थरुर भगतसिंह की तुलना कन्हैया से कर रहे हैं तो उन्होने भगतसिंह के बारे में सही जानकारी नहीं ली हैं । या कन्हैया कुमार को आकाश से ऊंचा बनाने में लगे है। समानता करने का आधार क्या होना चाहिए , यह शायद शशि थरुर को बिल्कुल नही पता है । ऐसे लोगों को सबसे पहले तो भगतसिंह को पढ़ना चाहिए कि भगतसिंह असल में थे कौन ।
और जिस प्रकार कन्हैया कुमार की मौजूदगी में भारत विरोधी नारे लगाये गये ,उस स्थान पर अगर सरदार होते तो एक एक से भिंड़ने की ताकत रखते ।सरदार ने कभी कहा था अगर जरुरत पड़े तो अपने आपको देश के लिए झोंक देना चाहिए । और कन्हैया को जवाब देना नही आता उनसे जब पूछा जाता हैं कि जब देश विरोधी नारे लगाये जा रहे थे तब तो वो वहां मौजूद थे । उत्तर में कन्हैया कुमार कुछ और ही बताते नज़र आते हे । और यह सवाल उनसे India today conclave में राहुल कंवल ने पूछा था ।और अगर भगतसिंह से किसी ने एक प्रश्न किया होगा उसे उसका सटीक और संतोषजनक जवाब मिला होगा ।
थरुरजी , कन्हैया को कन्हैया ही रहने दीजिए क्योंकि भगतसिंह जैसे केवल और केवल भगतसिंह ही थे । उनके जैसा बनना बड़ा मुश्किल हैं ।