भारत जल सप्ताह के अंतिम दिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भूजल संरक्षण के लिए सबकी सहभागिता की मांग की। उन्होंने इसके लिए सभी देशों को आगे आने की बात कहीं। जल कितना मूल्यवान है यह सभी जानते हैं, लेकिन क्या वज़ह है कि इस पर गंभीरता नहीं दिखायी जा रही। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से पारिस्थितिकी में बदलाव पर चिंता जाहिर किया। इसी के साथ उन्होंने सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदे के निबटारे के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ ना करने की सलाह दी। प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करने की मांग की। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को नजरअंदाज करना सबके लिए घातक हैं।
भारत में दुनिया की 17 फीसदी जनसंख्या रहती हैं और जल उपलब्धता 4 फीसदी ही हैं। यानि जल संकट के आसार पूरी तरह से बन रहा है। इस बड़े संकट से बचने का केवल और केवल एक उपाय हैं कि हम आज और अभी से अपनी आँखे खोल ले। हरेक की जिम्मेदारी बनती हैं कि वह जल की हिफ़ाजत करें। गौरतलब है कि दुनिया में अगर कभी भी विश्वयुद्ध होगा तो, उसकी वज़ह जल और ऊर्जा ही होंगे।