1.हिन्दी ने हमें उबारा, हमने हिन्दी को सम्मान की नजर से देखना भी वाजिब नहीं समझा ।
2.कभी हिन्दी का आश्रय लेकर हमने दुनिया को मात दिया था ।
3.हम अपराधी है हिन्दी की ममता के साथ नाइंसाफ़ी करने वाले।
4.हिन्दी जैसी समृद्ध भाषा पूरी दुनिया के लिए सौभाग्य की बात हैं ।
5.हम हिन्दी से उसका श्रृंगार कम करने पर तूले हैं ।
6.राष्ट्रीय एकता हिन्दी के बिना असंभव है ।
7.राष्ट्रवाद से बड़ा हो गया भाषावाद ,क्यों ?
– अभिजीत पाठक
Abhijit Pathak