साम्प्रदायिक सौहार्द का गुर सिखाता आजमगढ़

बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए

इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए.   -कैफी आजमी

आजमगढ़ का एक हिन्दू परिवार रातों को जागकर पड़ोसियों को रोज़ा रखने में मदद करता है. गुलाब और उनका बेटा सुबह दो घंटे पहले इसलिए जग जाते है ताकि मुस्लिम परिवारों की सेहरी ना छूट जाये.

आजमगढ़ में बनारसी साड़ियों के लिए मशहूर एक शहर है मुबारकपुर. जहां के ग्रामीण इलाकों जब रात के तीन बजे सभी सो रहे होते है तो एक हिन्दू परिवार इसलिए जाग रहा होता है ताकि किसी मुस्लिम भाई की आंख ना लग जाये और रोज़े में किसी से सेहरी ना छूट जाये. गुलाब और उनका बेटा रात 1 बजे से अपने इस काम में लग जाते है. ये उन लोगों के गाल पर तमाचा है जो आजमगढ़ में मजहबी दंगे करवाते है. इस कहानी से उन लोगों को सबक लेनी ही चाहिए जो एक तीसरे के कहने पर आपस में भीड़ जाते है और जिस जिले को साम्प्रदायिक सौहार्द के मिसाल के तौर पर रखा जाता था उसपर लोगों को सियासत करने का मौका देते है.

आजमगढ़ का यह हिन्दू परिवार रातों को जागकर मुस्लिम पड़ोसियों को रोज़े रखने में करता है मदद

 

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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