भांवरा गांव का निवासी चन्द्रशेखर सीताराम तिवारी जब अल्फ़्रेड पार्क में खुद को गोली मार लेता है तो उसके स्वाभिमानी विचारों से जनरल और डायर भी डर जाते हैं.
आजाद से हमे एक चीज जरुर सीखनी चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों के बाबत आपमें देशहित का उद्देश्य कभी भी खत्म नहीं होना चाहिए.
चन्द्रशेखर का जन्म भारत की ही धरा पर इसलिए हुआ था कि कभी भी अगर यहां के युवाओं के भीतर जज़्बे की लेशमात्र भी कमीं महसूस हो रही हो तो चन्द्रशेखर से सीख लें और अपने लक्ष्य से ना भटके.
आजाद मेरे प्रेरणास्रोत बनें और मै ऐसे महात्मा जैसा नजरिया तो नहीं कहूंगा, माद्दा रख सकूं अपने जीवन में बस इतनी भर चाहत है.
प्राणांत हो या जीना हजार साल,
सम्पत्ति हो या फिर उसकी आस.
कुछ विचारों पर अड़ जाते है जब वीर,
तो इस समाज से,
मिथ्या, अन्याय, दंभ और भ्रष्टाचार मिटाते हैं.
देश के सपूत अपना इतिहास में नाम अमर कर जाते हैं.
चन्द्रशेखर को उनके जन्मदिवस पर मेरा प्रणाम.
#ChandraShekharAzad
-अभिजीत पाठक