​आवामी सियासत के सात दशक (प्रस्तावना)

सबका यही मानना है कि लोकतंत्र में आवाम का बोलबाला होता है.  इस नाते मैने भी इसे आवामी सियासत कह दिया क्योंकि कुछेक अगर इसे सियासी आवाम कह भी देंगे तो, क्या यहां के राजनेताओं में आकस्मिक बदलाव आने की एक फीसदी भी गुंजाइश रखा जा सकता है. चलिए मै मौजूदा हालात, घोटालों और तमाम तरह के भ्रष्टाचार को केन्द्र में रखकर इस देश के अतीत को सियासी आवाम कहता हूं. क्या हो जायेगा इससे, वोटिंग के समय तो मुझे मुँह की खानी पड़ेगी न.

जब बात होती है भारत के लोगों की, तब यहां पर किसी को ये हक नहीं दिया जाता है कि वो किसी भी आधार पर इसे बांटने की कोशिश करे. लेकिन इस लोकतंत्र में अखण्डता की दुहाई देने वाले जनप्रतिनिधि, मीडिया के शीर्ष पत्रकार, शिक्षाविद् और यहां तक की खुद ये आवाम देश की राजनीति के इस बूरे स्तर को ना पहचानते हुए आपस में क्षेत्र, संप्रदाय, जाति, और गरीब-अमीर में बटी हुई है.

आजादी के बाद लगा कि नियम कानून और संविधान के दायरे में रहकर भारतवर्ष नामक ये वृक्ष एक बार फिर से पहले की तरह पल्लवित होगा. स्वतंत्रता सेनानियों और देश के छोटे बड़े सभी तबको ने यहीं सोचा था कि समाजवाद का जामा पहनकर ब्रिटिश भारत की दासता को नया स्वरूप मिलेगा. लेकिन इन उम्मीदों पर पानी फेरने का काम सियासत ने बड़ी ही दिल्लगी के साथ किया.

आज की परिस्थिति देखकर तो अंदर से यही आवाज़ आती है कि जब ऐसा झांसा ही देना था इस आवाम को तो फिर गुलामी को नया रूप देकर आजाद कहने की जरुरत क्या थी?

दरअसल ये आजादी केवल पूंजीपतियों की झोली में डाल दी गई. पिछले 70 सालों की दास्तान यहीं हैं कि पूंजीपतियों और राजनीति में काबिज लोगो की साठगांठ ने तमाम तरह के घोटालों को अंजाम दिया. भ्रष्टाचार मिटाने और समानता फैलाने का जिम्मा आवाम ने जिनके हाथों में सौंपा, उन सबने इसका फायदा उठाया और आमजन के साथ दगाबाजी की. उनके विश्वास के साथ खेलते रहे.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: