साझेदार ही हिस्सेदार होता है.

ये सार्वभौमिक यानी यूनिवर्सल ट्रुथ है. एक कहावत है ना कि “जो जागत हैं सो पावत है, जो सोवत है सो खोवत है”

मायने ये कि जीवन में कुछ बेहतर पाने के लिए आपको हर वक्त अलर्ट रहने की जरुरत है.
हां ये बात भी सही है कि बिना संघर्ष रुपी समय साझे किए ही आप अपने सपनों के हिस्सेदार चाहकर भी नहीं बन सकते हैं. किसी भी व्यापार में कोई व्यापारी जब तक अपना शेयर या योगदान नहीं लगाता वो मुनाफे का हकदार नहीं हो सकता है.
इसके सैकड़ों उदाहरण हैं.

पहले शुरूआत करते है कि आखिरकार कोई व्यक्ति कैसे उस संपत्ति का हिस्सेदार नहीं है जब तक उसने शुरु में कोई साझेदारी ना की हो.

एक सुनियोजित चोरी करने वाले चोर के सभी सदस्यों को ही ले लीजिए, सबकी हिस्सेदारी बनती है न, मगर किस साझेदारी की बदौलत. जवाब है साथ की साझेदारी, रिस्क की और अपने आत्मा तक को बेचने की साझेदारी करते सभी एक दूसरे से.

ठीक इसी प्रकार पिता की संपत्ति में दो भाईयों की हिस्सेदारी तो बनती है मगर साझेदारी की बात गले से नहीं उतर रही है. पैतृक संपत्ति जो ना जाने कितनी ही पुरानी है, उनमें इनका क्या साझा हो सकता है.
जवाब ये है कि पिता की सारी उम्मीदें, उनके सारे अनुभव और एक आस जब वो अपने बेटे को अपने समान देखता है तो सब कुछ उस पर न्यौछावर कर देता है.

तीसरा उदाहरण एक मित्र के कठिन समय में उसका मित्र हिस्सेदार होता है. आपको बताता हूं आखिरकार कैसे?
एक संघर्ष कर रहे दोस्त का साथ उसके दूसरे घनिष्ठ मित्र को किस साझेदारी के नाते देना चाहिए. और किस प्रकार इस साझेदारी की हिस्सेदारी बनती है.
एक सच्चे मित्र के ऊपर संघर्षरत अपने दोस्त का भरोसे का साझा पूरे जीवन भर बना रहता है.
कुछेक अकड़ में अपनी हिस्सेदारी को भूला बैठते है. जो ना ही कभी अमीर गरीब देखता है, जो कभी भी बड़ा छोटा नहीं समझता है और ना ही अपना-पराया.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: