गागर में सागर भरना बुरी बात तो नहीं,

गागर में सागर भरना बुरी बात तो नहीं, इतना बातूनी होना भी सहीं नहीं है. अटलबिहारी बाजपेयी को आती थी ये युक्ति. प्रखर वक्ता और वाक्पटु पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने लालकिले की प्राचीर से सम्भवतः सबसे संक्षिप्त भाषण 1999 में सिर्फ 20 मिनट का था. 2001 में भी वो आधा घण्टा ही बोले. रिकॉर्ड बनाना भी सही ही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को सम्बोधन ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. इस बार मोदी जी ने पूरे 95 मिनट तक राष्ट्र को संबोधित कर अपने ही 86 मिनट का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया.
दरअसल, 95 मिनट में से लगभग 80 मिनट तक पीएम अपनी सरकार का पिछले दो सालों की उपलब्धियों का लेखा जोखा देते रहे और आखिर के 15 मिनट में आतंकवाद को फटकारा और पकिस्तान को ललकारा.
इससे पहले लालकिले की प्राचीर पर पहला भाषण ही अपने आप में रिकॉर्ड था. 15 अगस्त 1947 की सुबह नेहरू ने देश से 72 मिनट तक बातचीत की. तब तो बहुत सारी बातें भी थी करने को. देश के भविष्य का पूरा खाका खींचना और योजनाएं बताना भी था.
एक भावुक पल..सख्त फैसलों की घड़ी.. ढाढस बंधाने का समय… पर इसके बाद बरसों तंक लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का सम्बोधन 20 से 50 मिनट में सिमटता रहा. कई बार तो ये रस्मअदायगी जैसा ही लगा. पीएम देश की जनता से बात करने की बजाय अपना लिखित भाषण पढ़ते रहे. कभी कभार रोचक लेकिन अक्सर उबाऊ और बोरिंग आंकड़ों वाले.
इतिहास के पन्ने पलटें तो लालकिले की प्राचीर से जोशीला भाषण करने वाली पीएम इंदिरा गाँधी के भाषण 45 से 55 मिनट के होते थे. इसके अलावा प्रखर वक्ता और वाकपटु पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने लालकिले की प्राचीर से सम्भवतः सबसे संक्षिप्त भाषण 1999 में सिर्फ 20 मिनट का था. 2001 में भी वो आधा घण्टा ही बोले.
युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी 25 से 40 मिनट तक ही बोलते रहे. गांधी नेहरू परिवार के अलावा कांग्रेसी सरकार के पहले पीएम पीवी नरसिंह राव तो 37 से 45 मिनट के बीच ही अपना सम्बोधन निपटाते रहे. मनमोहन सिंह भी इसी परम्परा में रहे 31 से 40 मिनट तक. ये दोनों वैसे भी मितभाषी माने जाते थे यानि मौनी बाबा.
इस बीच इंद्र कुमार गुजराल लम्बा बोले 1997 में 72 मिनट. वीपी सिंह 1990 में 71 मिनट. यानी लगभग सवा घण्टा से थोड़ा ही कम.
दशकों बाद लालकिले की प्राचीर से बुलेटप्रूफ का कवर हटा साथ ही संक्षिप्त भाषण का स्वरूप भी. मोदी ने लालकिले के परकोटे पर 2014 के स्वाधीनता दिवस समारोह में पहली बार तिरंगा फहराने के बाद अपने पहले सम्बोधन में 65 मिनट तक बात की. अगले साल 86 और तीसरी साल 2016 में ये अवधि 95 मिनट हो गई… बड़ा सवाल … क्या होगा अगले साल… ?? फिर 95 पर आउट या फिर शतक बनेगा…???

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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