आपने एनडीए की सारी उपलब्धियां गिनवाया ठीक, भारतीय संस्कृति पर लम्बा-चौड़ा बोला ये भी ठीक, और इसके बाद आजादी के संघर्षों की गाथा, काबिले तारीफ.
मनमोहक तरीके से भाषण देने में आप निपुण है इस बात को माना जा सकता है लेकिन इन सबके बाबत एक बात गले नहीं उतर रही है कि इससे पहले आप सामाजिक बुराईयों पर मौन स्वीकृति देते नजर आ चुके है. आप शायद ये बात भूल रहे हैं कि लाल किले की प्राचीर से जिन सामाजिक बुराइयों से कठोरता से निपटने की सलाह आप पूरे देश को दे रहे थे.
बीतें समय की कुछ वारदातों पर आप की चुप्पी ये जाहिर कर चुकी है कि आप उन सामाजिक बुराईयों का विरोध तहे दिल से नहीं करना चाह रहे थे या फिर इसपर बोलने से आगामी चुनावों पर बहुसंख्यक आबादी के वोटों में कमी का डर. ऐसा भी हो सकता है कि आप उस समय इन लाइनों से सबक लेते हो कि- Speech is silver, Silence is golden. लेकिन आप जैसा वक्ता ऐसी बातें नही अपना सकता. ये मेरा मानना है.