एक पत्रकार का काम होता है, लोगों को Awareness करना, जागरुकता फैलाना. इसका कार्यक्षेत्र इतना बड़ा है कि पत्रकारिता और उसके उद्देश्य का सही तरीके से रखरखाव कर पाना असंभव है. अक्सर आप देख सकते हैं कि कई दिग्गज पत्रकार भी आवाम यानी आमजन की चुनौतियों को दांव पर लगाकर उन खबरों को तवज्जो देते है, जिनसे इनका Viewership अच्छा खासा बना रहे. इन सबके बीच ऐसे लोग ही पत्रकारिता से संबंधित सेमिनारों में ऊंची-ऊंची बातें करते हैं. अगर पत्रकारिता का सारा मायने यहीं तक थम जाना चाहिए तो आप की जवाबदेही बनती है कि आप लोग भी लोगों के भरोसे के साथ खेल रहे है.
आज पत्रकारीय विवेचनाओं में गरीबी, बेबसी और लाचारी के लिए केवल आंकड़े ही उनके साथ होने की जिम्मेदारी है.
आखिर आज लोगों का विश्वास मीडिया पर क्यों नहीं रहा. जिस जनवाद के लिए मीडिया आई थी, अब वो उससे कोसों दूर आखिर क्यों खड़ी दिखाई देती है.
अब पत्रकारिता मुहिम नहीं रही. अब लोगों का भरोसा मीडिया पर नहीं रहा. सभी जानते है कि मीडिया हमसे पहले अपने Business को प्राथमिकता देती है. (आगे….,,,