आज के समाज में लोगों के मन में युवाओं के लिए एक अविश्वास बढ़ता ही जा रहा है. पुरानी पीढ़ी हर बार अपने चंद अनुभवों और कार्यकुशलता को दिखाकर हममें एक निराशा पैदा करने की कोशिश में लगी रहती है. ये बहुत ही गंभीर बिषय है. इसका मायने यह निकलता है कि हमें अब इस आरोप को समाप्त करने के लिए एक जिम्मेदार और सशक्त युवा बनकर अपनी क्षमता साबित करने की जरुरत आ गई है.
पुरानी पीढ़ी का एक बड़ा आरोप है युवा पीढ़ी पर. आरोप ये कि युवा पीढ़ी लापरवाह और ग़ैरज़िम्मेदार हो गई है. इसके साथ ही उनका एक और आरोप है कि किसी कार्य को हम पूरा किये बिना ही बीच में छोड़ देते है.
इन सबके बाबत युवा पीढ़ी अपनी बात मनवाने के लिए आखिर क्यों आक्रोशित नहीं होती? सवाल ये हमसे लोगो का भरोसा क्यों उठ रहा है? लोग हमें प्रभावहीन कहकर निकल जाते है और हम बस देखते रहते है.
आज जरूरी सा हो गया है कि अपनी क्षमता और भरोसे के बलबूतें लोगो के करीब फिर से पहुँचने की. समय की मांग है कि एक ऐसे संगठन की पैरोकारी हो सके जिसमें लोग हमारे सलाहकार बनने के उत्सुक हों. कार्य प्रयोजन के लिए हमे दिन-रात एक देने की जरुरत है.
आइये हम एक ऐसे धरातल की स्थापना करें जहाँ असमानता, बेरोजगारी, बेबसी और बदहाली जैसे हरेक कुव्यवस्था का नाश किया जा सकें. और इन्हें कोई जगह ना मिल पायें.
एक उम्मीद के साथ..,
कल के सूरज हो, तुम इस युग के मेहतर.
देखो किसी किल्लत का अंकुर पनप ना जाये कही.
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