(भ्रष्टाचार सिर्फ तभी नहीं होता, जब एक सुनियोजित चाल के तहत किसी की संपत्ति, हक और विकास को हड़प लिया जाये. ये संपत्ति आमजन, किसान, पिछड़े तबके और किसी बेबस का हो सकता है.)
बल्कि भ्रष्टाचार तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में प्रवेश पाने के लिए सिफारिश करता है. भ्रष्टाचार तब होता है जब किसी पद के योग्य ना होते हुए भी करीबी और नजदीकी को वो जिम्मा सौंप दिया जाता है. जिसके काबिल वो था ही नहीं. भ्रष्टाचार तब भी होता है जब राजनीतिक करीबियों के द्वारा किसी को पुरस्कारों से नवाजा जाता है. भ्रष्टाचार तब भी होता है जब किसी के भरोसे को ताक पर रख, उसके साथ गुस्ताख़ी की जाती है. भ्रष्टाचार तब भी होता है जब झंडावरदार समाज के लोग दहेज के बदले एक गरीब लड़की की हिफ़ाज़त और सम्मान का हवाला देते है. भ्रष्टाचार तब भी होता है जब नई प्रतिभाओं का अच्छा खासा काम देखकर भी उससे सुधार की गुंजाइश के नाम पर बर्गला दिया जाता है. भ्रष्टाचार तब भी होता है जब कुछ नामचीन लोगो का हवाला देकर, ब्रांडनेम का सहारा लेकर पत्रकार बना दिये जाने का ख्वाब दिखाया जाता है. भ्रष्टाचार तब भी होता है जब साहित्य पर कुछेक का एकाधिकार चलाया जाता है.
और आप केवल राजनीतिक छलावे को ही भ्रष्टाचार समझते है.