भारत की विविधता इसका श्रृंगार  है और युवा हीरे हैं.

भारत के लोग हमेशा से तालमेल के साथ, सामंजस्य के साथ और सौहार्द के साथ आपस में मिल जुलकर रहने का मिसाल दुनिया के सामने रखते है. दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम् यानी पूरी दुनिया एक परिवार के समान है और यहां के रहने वाले उस परिवार के सदस्य की तरह हैं. भारत ही ऐसी धरती है जहाँ 64 किस्म के अनाज पाये जाते हैं. आप दुनियाभर में ऐसा सगुन नहीं देख सकते.

भारत में औपचारिक शिक्षा के इतर एक अनपढ़ कबीर अपनी कही लाइनों से लोगो को सबसे बड़ी औपचारिक शिक्षा करवाता है. आश्चर्यो से भरा भारत दुनिया को ऐसे-ऐसे मस्तिष्क देता है जिसका एहसान दुनिया कभी भी चुका नहीं पायेंगी. 

तमाम संघर्षो को झेलकर भी भारत अपने ललाट की चमक फीका नहीं पड़ने देता. भारत के पास ऐसे हीरे है जो दुनिया को उजाले और चकाचौंध से भर देंगे लेकिन इनके उड़ान के लिए देश की सरकार को प्रतिभाओं को तराशने की जरुरत है. देश के काबिल युवा हमेशा से तिरस्कार झेलते आये है. लोगो का भरोसा जितने के बाद भी अक्सर वैमनस्यता के शिकार बन ही जाते हैं.

युवा भारत का सपना सुनने के लिए ना कोई सरकार तैयार है, ना कोई मीडिया और ना ही कोई शिक्षाविद्. 

क्योंकि ये चाहते हैं कि आज के युवा एक बनी बनाई ढाँचा पर ही काम करे; लेकिन जो लीक से हटकर कुछ अलग करने के लिए आतुर है, उन्हें ये सिस्टम बाहर का रास्ता दिखा देता है.

लेकिन इस सिस्टम के आदी हो चुके लोग को एक नये प्रयोग से क्या मतलब वे बस इतना चाहते हैं कि मेरा फायदा कैसे होगा. इतनी सिमटी हुई मानसिकता का क्या होगा ये आगे देखा जा सकता है. 

इतिहास गवाह है कि जब भी कुछ नया हुआ है किसी को उसपर तुरंत भरोसा नहीं हुआ. लेकिन जब सबसे ऊर्जावान युवा की चिग्घाड जनवादी हुई, दुनिया की आंखें खुली की खुली रह गई.

देश का हर युवा जब तक अपनी क्षमताओं का तहे दिल से सम्मान नहीं करता; उन करोड़ों प्रयोगो को ये कार्पोरेट समाप्त कर देगी.

एक बात समझ नहीं आती कि जिन्होंने अभी हाल ही में पंख मारना सीखा है; उनकी समानता अक्सर उनसे क्यों की जाती है जो लम्बी उड़ानों के लिए जाने जाते है. कोई संदेह नहीं है; जिन्हें पंख पसारना आ गया, वे जरुर उडेंगे और साथ ही साथ एक नया मुकाबला दुनिया के लिए छोड़ जायेंगे.

जरुरत तो ये होनी चाहिए कि जो युवा अपने उड़ान पर कार्यरत है; उनका भरपूर प्रोत्साहन किया जाये. लेकिन ऐसा करने से कही भारत विकास का एक नया रास्ता ना बना दे,. और कुछेक का एकाधिकार समाप्त हो जाये; इस बात का डर लगता है उनको जो इसको केवल कमाऊं समझते हैं.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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