1. किताबों को अपना संगी बनाइये और अध्ययन को अपना हमसफर.
2. नई जानकारियों को चाहत.
3. तलाशते रहिए ऐसे विश्लेषण रुपी ईश्क को जो लोगो के हित में हो.
4. उस जानेजिगर तर्क से दिल लगाइये जिससे जनगद्दारों का पर्दाफ़ाश हो सके.
5. साहित्य एक ऐसी जीवनसाथी है जो हर समय आपके सहारे के रुप में मौजूद रहती है. उसकी आंखों में ऐसा प्यार नजर आता है जो आमजन की बेबसी को समझ सके.
6. अगर आप पत्रकार है और एक बार भी लोगो के हितो से नैना मिला लिए ना, तो आपको उसके बाद जो सुकूं मिलेगा ; वो ना गीता दे सकती है और ना ही कुरान.
7. पत्रकारिता के पेचोखम में अगर पूरी शिद्दत से कोई एक बार अपना दाखिला कर लेता है ना, तो उसे कभी मंदिर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि अपने दायित्वबोध में भरपूर आनंद और उत्साह मिलता है.
8. हरेक पल और हरेक लम्हें को इसलिए खामोश होकर बिताइये कि इस कड़ी मेहनत रूपी गम के बाद बदलाव रुपी मिलन का भी समय आयेगा.
9. हर सांस पत्रकारिता के लिए लिजिए, जब आप इससे दूर हो किसी वजह से, तो आपको बेचैन होने का पूरा हक है.
10. अगर आपने कोई कोताही नहीं बरती. तो एक रोज आपको सम्मान के साथ वही लोग अपनायेंगे, जो आपके पत्रकारीय ईश्क पर हंसते थे.