​अर्थ का अनर्थ

संस्कृत के शब्द “अर्थ” का मतलब धन होता है. धन एक प्रतीक है संवृद्धि का. लोभी के ह्रदय में धन का बसना और इसकी महत्वाकांक्षा बढ़ते रहना पाप बताया गया है. लोकोक्ति भी है कि लोभ पाप का जड़ है. अब एक व्यापारी को आप ये उद्बोध दे कि लालच बुरी बला है, तब तो उसका सारा काम- धाम ठप्प हो जायेगा. 
अर्थनीति और अर्थशास्त्र के तमाम सिद्धांत सद्भावपूर्ण नहीं होते. गौरतलब बात है कि ज्ञानी पुरुष बस अपनी जरुरत भर अर्थ का संचय करना उचित समझते है. जैन धर्म में आवश्यकता से अधिक धन का संचय मना है, जिसे अपरिग्रह कहा जाता है. सार्वजनिक हित में लगाया गया धन अपरिग्रह के संयमन से बाहर आता है. संपत्ति  अगर ज्यादा है तो उसे लोककल्याण में लगा देना धार्मिक कहा जाता है.

मेरे हिसाब से आज के समय में धार्मिक लोग कमतर है; जो अपने सिद्धांतों और नीतियों पर कायम रहते हो. अब ऐसे में ये समझना थोड़ा ओरांगउटांग बनता जा रहा है कि यथार्थपूर्ण स्थिति की बारीकियाँ कभी सभागृह में नैतिक नहीं हो सकती.

वर्तमान स्थिति ऐसी है कि आय से अधिक संपत्ति रखने वाले नेतागण धार्मिक बनकर वोटबैंकिंग में फिक्स डिपाजिट का फायदा उठा रहे है. 

इन सबके बाबत दिमाग की उलझने असीमित है जिनका जिक्र कर पाना धन की अवमानना जैसी प्रतीत होती है. धन के उजाले में ज्ञान का आलोक धूमिल होता जा रहा है. विद्याधनं सर्वधनम् प्रधानम् का मतलब नहीं रहा. लोग धनवान नहीं होना चाहते धनवादी बन रहे है. रकम के लिए दिनरात एक किए जा रहे है. संबंधों के पुल बांधना पाई-पाई जुटाने वालों के हैसियत में नहीं रहा. 

लोग धन्धा नहीं कर रहे, आज के लोग धन के मद में अंधे हो चुके है. 

विद्यार्थी धनार्थी बन शिक्षा को ताक पर रख देता है. इस उलटफेर में शाब्दिकता समाप्त सी होती जा रही है. 

अर्थ का अनर्थ प्रत्यक्ष देखा जा सकता है. जो कभी मरते नहीं; वे धनी नहीं होते है प्रतिभावान होते है. अनंतकाल तक जिंदा रहने के लिए स्वतंत्र चिंतन द्वारा विचार रखने की जरुरत होती है. विचार कभी मरते नहीं; यथार्थ मर जाता है.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: