आज मैने @amarujala के संपादकीय पेज पर शाहजहांपुर के साहित्यकार ह्रदयेश के बारे में मूलचंद गौतम द्वारा लिखा आलेख ‘छोटे शहर का बड़ा लेखक’ पढ़ा. इसकी पहली लाइन का तेवर प्रतिभावान व्यक्ति का साथ दे रही थी. जिसमें लिखा था कि मुंबई, दिल्ली,बनारस, इलाहाबाद और लखनऊ की तुलना में शाहजहांपुर एक छोटा शहर है. चंडीप्रसाद ह्रदयेश के कहानी संग्रह ‘छोटे शहर के लोग’ का जिक्र करते हुए मूलचंद गौतम लिखते है कि इसके छपने के बाद ये मिशन ही उनका स्थायीभाव बन गई.
ह्रदयेश अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी रचनाएं है. ह्रदयेश की रचना और व्यवहार आपस में मेल खाते है. अगर संभव हो पाया तो मै भी ह्रदयेश के ह्रदय को समझने की कोशिश करूंगा, जिनकी रचनाधर्मिता इस हद तक जमीनी है कि अपनों को छोड़ दूसरों का साथ और लाभ लेने से भी हिचकती है.