मुझे बताइए कि अचानक अमीर हुए लोगों को भी चिन्हित करने की पहचान के लिए भी कोई नियम बनाया गया है, जो आय का ठोस साधन ना होते हुए भी करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे है या फिर आगे चलकर करेंगे.
शायद इन बातों को कहने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि ये फैसला दूरदर्शिता के अभाव से ग्रसित है.
मान लिजिए किसी व्यक्ति के पास दस करोड़ रूपये है और वो काला धन भी है. वो व्यक्ति एक हजार लोगो में इसे बांटकर इसे आसानी से सफेद बना सकता है.
चुनावी माहौल में वोट खरीदने का अच्छा उपाय भी निकाला जा सकता है. खासकर यूपी में शराब, कपड़े और पैसे से वोट खरीदे जाते है.
चलिए इसी बहाने कुछ अपने भी ईमानदारी का चोला भी पहन लेंगे और बेमानी के गर्त से ऊपर निकल आयेंगे.
मीडिया का गुणगान समझ से परे है. भारत राम भरोसे….,,,,
#ओजस