#ओजस
प्रेम इतना जिज्ञासु होता है कि वो सब कुछ जान लेना चाहता है. जिस किसी में रमता है, उसके हर सतह से रूबरू होना चाहता है. जब हम अपने काम से प्रेम कर बैठते है तो हम उसमें दिलचस्पी लेते है और उसे अंजाम तक पहुंचाते है. जब हम अपने मुल्क से प्रेम में होते है, तो राष्ट्रप्रेम स्वयमेव देशहित में लग जाता है. जब हम अपने मुल्क के लोगो से प्रेम में होते है तो हमें निजी धर्म, जाति और क्षेत्र से पहले इंसानियत की राह और उसपर चलने वाले लोग पसंद आते है.
एक राष्ट्रप्रेमी ही सच्चा राष्ट्रहितैषी होता है, जिसे दुश्वारियों में जीना तो पसंद होता है. लेकिन देश की शान को ताक पर रखना नहीं सुहाता.
आपको लगता है कि प्रेम एक स्थान पर स्थिर रहता है; नहीं भाई प्रेम कवि की कल्पनाओं में गतिशील होता है. एक ईमानदार पत्रकार के कलम में डटा रहता है जिससे कि लोग अपनी गतिशीलता का त्याग ना करे. एक साहित्यकार के समाजीकरण में घुला रह सकता है.
मशक्कत और इत्मिनान का काम एक साथ कर पाना आसान नहीं होता है. लेकिन एक जवान सीमा पर दोनों कार्यों को गतिमान करता दिखाई देता है.