आपके वायदे उम्मीद बधाते हैं लेकिन बहुत जल्दी ही नाउम्मीद भी कर देते है. 2014 लोकसभा चुनाव में आपने एक वायदा किया था कि ‘अगर आपकी पार्टी सत्ता में आती है तो आप हर साल दो करोड़ रोजगार पैदा करेंगे.
दरअसल आप जिस कांग्रेस का उपहास करते है वो रोजगार मुहैया कराने में आपसे आगे निकल गई है. आप पर एक आरोप लगाया जा सकता है कि आपने भारत को रोजगारविहीन किया है.
भारत आजादी के बाद से बेरोजगारी की समस्या को झेल रहा है. मसलन, सभी पार्टियां जो सत्ता में आती है, उनके वायदे रोजगारी की अगुआई करती ही है. अगर बात की जाये भारत में बेरोजगारी की समस्या और प्रधानमंत्री के कार्यक्रम तो आपका कार्यक्रम सबसे नीचले पायदान पर होगा. इस पायदान से ऊपर गये बगैर आप यहां के युवाओं में आखिर कब तक धूल झोंक पायेंगे.
पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने एक बार कहा था कि ‘ हम राजनीतिज्ञों के लिए यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आम आदमी को सिद्धांतों से कुछ लेना देना नहीं है. उसे नतीजे चाहिए और यदि हम लोगो को पर्याप्त संख्या में रोजगार के अवसर मुहैया कराने में नाकाम रहते है, तो उन्हें हताशा होगी’.
आपको युवाओं की हताशापूर्ण स्थिति से क्या लेना है. आपको तो मन की बात करनी है. आपको इसे पूरा नहीं करना है. दरअसल, प्रस्तावना में ही इतना कुछ कहने के पीछे भी एक वजह है. वजह ये है कि युवा आपको अपना हितैषी समझने की भूल कर बैठे है. जब नाउम्मीद होंगे तो उनकी आंखें खुलेंगी. एक आंकड़े(केयर रेटिंग के मुताबिक) का कहना है कि 2014-15 में रोजगार वृद्धि हुई ही नहीं. ये केवल 0.3 फीसदी ही दर्ज की गई.
मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों में 2014-15 के दौरान रोजगार सृजन घटा, दर था -5.2 फीसदी.
जाहिर सी बात है कि बेरोजगारी बढ़ाने वाली सरकार कभी देशज युवाओं और देश के हित में काम नहीं कर रही होती है. उसकी बदलाव की बातें निरर्थक होती है. वायदों की भूलभुलैया में फंसाकर आमजन के भरोसे सरकार तो बना सकती है लेकिन इसे छिन्न भिन्न होने में समय नहीं लगता.
(मै दावे के साथ कह सकता हूं कि कांग्रेस ने हवाहवाई काम किया या नहीं मुझे नहीं पता. लेकिन रोजगार मुहैया कराने में एनडीए से बेहतर थी- व्यक्तिगत राय)