विरासत खाक में इसलिए भी नहीं मिल पाई; क्योंकि जब अंग्रेजियत का दौर था, तो कुछ लोग बटोरने में लगे थे और कुछ लोग अपना सब कुछ न्योछावर कर देने में और देश की विरासत, आत्मसम्मान और इसकी संस्कृति, भाषा और सभ्यता को बचाये रखने के लिए मर मिटने के लिए तैयार थे.
मेरे कुछ नजदीकी इसे पढ़कर हस रहे होंगे लेकिन भारत का अतीत राजनैतिक और ऐतिहासिक नकाब के भीतर ये सच्चाई मेरे कहे हुए को समर्थन देती है.
देश के सजग प्रहरियों, देश के युवाओं आप कभी ये भूलकर भी ना सोचें की सब कुछ दांव पर लगाने वाले के पास कुछ नहीं बचता. आज का भारत समूचे विश्व को ऊर्जा से लबालब कर सकता है, इसके लिए केवल एक शर्त है कि सर्वप्रथम आप खुद को पहचाने. अपनी ऊर्जा, सामर्थ्य और शक्ति को दुनिया बदलने में लगाये.
एक सवाल चिंतन करने योग्य है कि मेरे काम से बदलाव कैसे होगा! इस फेहरिस्त को आप कण-कण के संचालक ईश्वर पर छोड़ दे, जिन्होंने गीता में अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा था कि तुम्हारा अधिकार फल की चिंता करने में नहीं, कर्म करने में होना चाहिए.
#ओजस #आह्वान #युवा #Youth #India