आबादी हानिकारक नहीं होगा अब

अभी हाल में ही अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक नए महाद्वीप की परिकल्पना की है. इसकी स्थिति आस्ट्रेलिया के पूर्व में दक्षिण पश्चिम प्रशांत महासागर के 40.9 लाख वर्ग किलोमीटर लंबे पानी में डूबे हुए क्षेत्र में फैला हुआ है. संभावित महाद्वीप ‘जीलैंडिया’ के अस्तित्व में आने की खबर धरती के लोगों के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है. 
ये तब हुआ जब दुनिया की आबादी सात अरब हो चुकी है और दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है. करीब-करीब भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्रफल का जीलैंडिया, धरती के निवासियों के लिए उचित प्रवास का बंदोबस्त कर कुछ देशों के अनहद जनघनत्व को कम करने का काम करेगा.
मसलन, जीलैंडिया का 94 फीसद हिस्सा जो पानी में डूबा हुआ है वह लाखों साल पहले आस्ट्रेलिया से ही टूटकर समुद्र में मिल गया था. अगर ये अस्तित्व में आता है तो दुनिया का आठवां महाद्वीप होगा. 
संभावित महाद्वीप जीलैंडिया का जिक्र पहली बार 1995 में हुआ था. जीलैंडिया प्रशांत महासागर में डूबे 40.9 लाख किमी क्षेत्र में फैला है. भारतीय उपमहाद्वीप के बराबर इस क्षेत्र के वजूद में आ जाने के बाद प्रवास की समस्याओं में काफी हद तक दुनिया को राहत मिल सकती है.

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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