आज अखिलेश यादव गोरखपुर में रैली कर रहे है. इस रैली में भीड़ तो है मगर उतनी खास नहीं. दरअसल, यहां के लोग अब समाजवादी वादों से डरने लगे है. ये डर इसलिए है क्योंकि समाजवादी योजनाएं हर वर्ग, हर जाति के लिए कहकर लाई जाती है मगर कई खुलासों से ये बात सामने आया है कि अखिलेश सरकार एक विशेष जाति के लिए ही थोड़ा बहुत काम करती है.
बाबा गोरखनाथ के पावन धरती पर अखिलेश और राहुल साइकिल की गति और हाथ के पंजे को एक साथ भुनाने की कोशिश में लगे है. अच्छा नतीजा आयेगा, कहकर राहुल मोदी पर आ जाते है. यहीं काम अखिलेश ने भी किया. अपनी दोस्ती की गुहार लगाते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि हम केवल यूपी में दोस्ती नहीं निभा रहे है. ये दोस्ती पूरे यूपी को बदलकर रख देगा. भैया! देश तो बदलकर रख दिया कांग्रेस ने अब यूपी पर की बारी है क्या!
अखिलेश यादव ने गोरखपुर के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि – गोरखपुर के युवाओं को उत्साह और उमंग में साइकिल चलानी चाहिए, हाथ छोड़कर. इतना ओवरकांन्फिडेंट होना भी सही नहीं लगता.
इस रैली में अखिलेश ने अपने कामों को नहीं गिनाया. 2012 के लैपटॉप और फिर से सरकार बनने के बाद स्मार्टफोन की नसीहत खोखला सी लग रहीं है.
गोरखपुर में जिन लैपटाॅप वितरण का हवाला अखिलेश दे रहे हैं, उनमें ज्यादातर लोगो ने उन लैपटॉप्स का सार्थक उपयोग तक नहीं किया. गोरखपुर यूनिवर्सिटी में कई काम लंबित है. दुनिया का सबसे बड़ा प्लेटफार्म गोरखपुर प्लेटफार्म (1.34 किमी लम्बा) है मगर उसे देखने से लगता है कि भारत के लिए भी उसका कोई महत्व नहीं रहा. असुविधाजनक जैसी स्थिति आपको और आपके सरकार को कटघरे में खड़ा करती है.
बाकी गोरखपुर के लोग समझदार है.