अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘द फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स(FATF) ने पाकिस्तान को एक नोटिस भेजा. आतंकवाद के समर्थन से बाज नहीं आ रहे पाकिस्तान को इस मानवविरोधी गतिविधियों में शरीक ना होने की हिदायत दी गई है. इसी के साथ दुनियाभर के सभी देश इसके दो चेहरों को समझ चुके है; जिसमें पाकिस्तान एक तरफ तो आतंकवाद को खत्म करने का ढोंग कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ उनका खुला समर्थन.
एफएटीएफ की इस नोटिस के जरिए पाकिस्तान से इस सवाल का जवाब मांगा गया कि ‘उसने जमात-उद-दावा और जैश-ए-मोहम्मद और उनके सहयोगी आतंकवादी संगठनों को पैसा मुहैया कर रहे लोगो और संगठनों को रोकने के लिए क्या काम किया?
मसलन, इस सवाल के जवाब के लिए उसे एफएटीएफ ने तीन महीने का समय तो दे दिया है मगर असलियत यहीं है कि इसका जवाब उसके पास नहीं है. पाकिस्तान सबकुछ जानता है और बताना कुछ नहीं चाहता. दुनिया के सभी देश इस जवाब का इंतजार कर रहे है. अगर पाकिस्तान इसका सही और सपाट जवाब नहीं देता है तो अंतरराष्ट्रीय पटल पर इसे आतंकवादी देश करार होने में समय नहीं लगेगा. चीन ने आर्थिक कारिडोर में इसका साथ देकर बहुत बड़ी भूल कर दी है. अगर चीन पाकिस्तान का इस हद तक हिदायती बनता रहेगा तो उसे भी आतंकवाद का खुला समर्थन करने वाला देश मान लिया जायेगा. चीन को अगर एशिया में अपनी साफ-सुथरी छवि बरकरार रखनी है तो उसे पाकिस्तान का साथ छोड़ना ही होगा.
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