पाकिस्तान स्टेट स्पांसर आॅफ टेरिज्म एक्ट(एचआर-1449) नामक विधेयक अमेरिकी सदन में पेश हुआ. इस विधेयक को एक उपसमिति द्वारा तैयार किया गया था. उपसमिति का नाम आतंकवाद संबंधी उपसमिति था. इस समिति के अध्यक्ष टेड पो ने इस विधेयक को सदन के सामने रखा. टेक्सास के सांसद ने अमेरिका और पाकिस्तान के समकालीन संबंधों पर चर्चा करने की मांग की है.
जब टेड पो आतंकवाद संबन्धित इस विधेयक को सदन में प्रस्तुत कर रहे थे उस दौरान उन्होनें कहा कि पाकिस्तान एक गैर भरोसेमंद सहयोगी है. इस्लामाबाद ने तो अमेरिका के दुश्मनों का साथ दिया है. हक्कानी नेटवर्क की बातें सब जानते है, लादेन से इनके नजदीकी रिश्ते थे. इस बात से तय है कि पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ाई में दुनिया के मानवप्रेमी देशों के साथ कभी था ही नहीं. बल्कि उन्हें आश्रय देने का काम करता था. अमेरिका को अब पाकिस्तान की मदद नहीं करनी चाहिए. उसे उसके काम के हिसाब से नाम मिलना चाहिए, उसे तो आतंकवाद का प्रायोजक देश कहना चाहिए.
इस प्रकार के विधेयक ओबामा के राष्ट्रपति रहते हुए व्हाइट हाउस में पेश किए जा चुके है लेकिन उन्हें ठुकरा दिया गया था.
सत्ता के पलटवार के साथ जबसे ट्रंप आये है आतंकवाद को जख्मी करने और ना बख्शने को तवज्जो देते रहे है. अब राष्ट्रपति को ही 90 दिनों में एक रिपोर्ट जारी करना है. जिसमें ट्रंप को बताना है कि क्या पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने में सहयोग कर रहा है. इसके बाद विदेश मंत्री को भी एक रिपोर्ट देनी है जिसमें ये साफ हो सके कि पाकिस्तान आतंक प्रायोजक देश है कि नहीं.
पो ने इसके बाद इस बात का भी जवाब मांगा है कि अगर पाकिस्तान को इन प्रक्रियाओं के बाद भी आतंक प्रायोजक देश नहीं माना जाता है तो उन्हें बताया जाये कि किन पैमानों पर ऐसा किया गया है.
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेकने का मन बना चुकी है. पाकिस्तान में आतंक को श्रय देने का सिलसिला इस दशक का सबसे भयावह दृश्य है. पाकिस्तान के भीतर भी इस दशक में कई आतंकवादी हमले हुए है. मसलन, जिस आतंकवाद को पाकिस्तान पाल रहा था, दूध पिला रहा था उसी समूहों ने सांप का काम किया और अपने विषैले जहर से कितने मासूमों की जाने भी गई. अगर अब भी पाकिस्तान अपनी आंदतों से बाज नहीं आयेगा तो उसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है. चीन को भी सुनिश्चित करना होगा कि वो किस मुल्क का पीठ थपथपा रहा है.
अभिजीत पाठक ‘ओजस'(विश्लेषक)