​योगी ही यूपी के ज्वलंत मुद्दों का समाधान कर सकते है!

क्या बहुसंख्यक होना अपराध है? बहुसंख्यक आबादी वाले केवल इसलिए चुप रहे क्योंकि वे बहुसंख्यक है. 
योगी आदित्यनाथ पूरे हिंदू है. इस बात को ऐसे समझा जाना चाहिए कि गोरक्षधाम में मुसलमानों की दुकानें बिना भय के चलती है. 

पूर्वांचल के मुसलमान वंदे मातरम् गाने पर गोलियां चला देते है और सरकारे सेकुलर का जाप कर रही होती है. मुस्लिमविरोधी कहकर इनका दुष्प्रचार किया जाता है.

जिस स्थिति में आदित्यनाथ ने विवादित बयान दिया था, उस हालात में उन्होनें सही कहा था. मेरे गृहजिले आजमगढ़ की तीन लड़कियों को किडनैप किया जा चुका था. इस अन्याय और अत्याचार पर सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही थी. मुसलमान तबके को बचाने में सेकुलर सरकार उतर आई थी. आंदोलन करने योगी जब आजमगढ़ आ रहे थे, तो पत्थरबाजी होने लगी. उनको रोकने के तमाम हथकंडे अपनाये जाने लगे. इस बीच उन्होनें विवादित बोला था. 

सवाल संवैधानिक और तथ्यपूर्ण होना चाहिए. क्या गोरखपुर से सिमी और ISIS को जड़ से समाप्त करने का काम असंवैधानिक था. जो लोग आदित्यनाथ योगी को कट्टर और फायरब्रांड कहते है उन्हें संसद में उनकी एक स्पीच जरुर सुननी चाहिए, जिसमें जज़्बाती होकर वे रोने तक लगे. 

इनकी कर्मठता को स्वीकार तो करना ही पडे़गा. 

 योगिराज में यूपी बेहतर सुशासन को लक्षित करेगा. 

आदित्यनाथ संसद में बीमार यूपी की बात करते है. आतंकवादी गतिविधियों और राष्ट्रविरोधी ताकतों का खुला विरोध करते है. 

अभी हाल में ही आतंकवादी सैफुल्ला का एनकाउंटर किया गया. सैफुल्ला के पिता ने उसकी लाश लेने से मना कर दिया था. इस बीच वहां पर उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आमिर रशादी उसके घर जाते है. उसके पिता को भड़काने की कोशिश भी करते है. ये संगठन मुसलमानों का एक बड़ा संगठन है मगर इसके बाद भी इसका पुरजोर विरोध नहीं किया गया.

अल्पसंख्यक बनाम बहुसंख्यक को आधार बनाकर हम मानवविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने को सेकुलरिज्म का झूठा नाम देना कब बंद होगा. 

इस्लामी कट्टरता का दंश ये देश 800 सालों से झेल रहा है. आर्य यहां के मूल निवासी थे. तराइन के मैदान में दो लड़ाईयां लड़ी गई. बात 12वीं सदीं के शुरूआत की है. इस्लाम भारत में इस मकसद से आया था कि वो इस धरती पर अपना प्रचार कर सके. उसे कामयाबी भी मिली. उसने अपने सल्तनत काल में निरंकुशता के चरम तक को लांघा. मंदिर में पूजा करने के लिए शहंशाहों को हर बार कर देना होता था. कर ना देने की हालात में हिन्दुओं के पास महज दो विकल्प ही बचते थे. पहला; वो पूजा करना छोड़ दे या फिर इस परिस्थिति में इस्लाम अपना ले. इस बात को स्वीकारने से कोई मुँह नहीं फेर सकता कि एक बड़ी तादाद में धर्म परिवर्तन गुलाम वंश से लेकर सद्ल्तनत के आखिर तक करवाया गया था. आज भी हिंदू से मुस्लिम बनने पर एक रकम दी जाने की प्रथा इस बात की पुष्टि करती है. सल्तनत काल में अपने राज्य विस्तार के लिए शहंशाहों ने हिंदू राजाओं की लड़कियों से शादियां की, फिर उन्हें बाध्य किया इस्लाम अपनाने के लिए. अपहरण की शुरूआत भारतीय सल्तनत की ही देन है. 

लव जेहाद का विरोध आदित्यनाथ ने किया और खुलकर किया. इसके पीछे एक बड़ा कारण है. मुसलमान बहुल या फिर सशक्त इलाके में पहले अपहरण होता है, फिर ज्यादती और फिर शादी के लिए बाध्य किया जाता है. लव जेहाद का वजूद इसलिए भी समाप्त हो गया क्योंकि प्रेम इस्लामी नहीं है. इस्लाम में लिंगभेद का चलन है. मस्जिदों के भीतर महिलाओं को नहीं जाने दिया जाता. भारत माँ की जय कहने को लेकर भी कुछ इस्लामी लोगों ने कहा था कि इस्लाम में महिलाओं की प्रार्थना निषेध है. तीन तलाक का मुद्दा भी मुसलमानों के पुरूषप्रधानता का ही एक अध्याय है. कुल मिलाकर इस्लाम नारीप्रधान नहीं है.

सामाजिक सुधार और प्रगतिशील सोच का चलन है. कई शायर और समाज सुधारक ऐसी मानसिकता का विरोध भी करते है. मगर मानसिक रोगियों को सुधारने का एक ही चारा है मनोविज्ञान. आदित्यनाथ मनोविज्ञान के प्रयोगकर्ता दिखाई पड़ रहे है.

#ओजसमंत्र #YogiAdityanath

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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