पाकिस्तान भारत पर बेबुनियादी आरोप लगा रहा है कि भारत ने 1960 में बने ‘सिंधु जल-संधि’ का उल्लंघन किया है.
आपको बता दें कि 1960 से लेकर अब तक इस मसले पर बैठकें होती रही हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच इस मसले को लेकर 113 बैठकें हो चुकी है. अंतिम बैठक 20 मार्च 2017 को हुआ, जिसमें भारत के 10 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लिया था. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिंधु जल आयुक्त पी. के. सक्सेना ने किया था. पाकिस्तान की तरफ से पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मिर्जा आसिफ सईद ने किया.
‘सिंधु जल आयोग’ पर बातचीत और बैठक के बीच पाकिस्तान ने कहा है कि भारत से होकर जाने वाली सिंधु समेत अन्य छोटी नदियों पर भारत ने पनबिजली घर बना दिया है. ये 1960 में दोनों देशो के बीच सिंधु जल संधि का उल्लंघन है.
फिलहाल इस बैठक का निष्कर्ष अभी दो दिन बाद निकलेगा क्योंकि ये बैठक दो दिवसीय है.
दरअसल, पाकिस्तान जिस समझौते का जिक्र कर रहा है उस समय इन देशों में विवाद इस कदर नहीं था. 1960 में जब ये जलसंधि हुई थी, उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर और आतंकी संगठनों को श्रय देने वाले पाकिस्तान की छवि कुछ हद तक ठीक थी और इसके साथ ही भारत के महान व्यक्तित्वों विनोवा भावे और महात्मा गाँधी का मानना था कि पानी साझा संपत्ति है; इसलिए भारत सिंधु समझौते की बैठकों में सटीक होता रहा है.
अब पाकिस्तान को तय करना होगा कि वो इस समझौते को बनाये रखना चाहता है या फिर बिना सिंधु के पानी के.
रहीमदास ने तो इस सबक के लिए बहुत पहले ही बेहतर सुझाव दे दिया था-
‘पानी गए न उबरे;
मोती, मानुष, चून.
-अभिजीत पाठक
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