आज मै दो अर्थभिन्नताएं स्पष्ट कर रहा हूं. पहला;
सनातन परंपरा में 33 करोड़ नहीं, 33 कोटि देवता है. संस्कृत में कोटि का मतलब प्रकार भी होता है. यहां कोटि का मतलब करोड़ ना समझे.
दूसरा;
लिङ्ग का मतलब प्रतीक होता है. शिवलिङ्ग यानी शिव का प्रतीक. अक्सर लोग शिवलिङ्ग का अनर्थकारी अर्थ निकाल लेते है और हल्ला मचाते है. लिङ्ग शब्द को और स्पष्ट तरीके से समझने के लिए कुछ और शब्दों को उदाहरण के लिए बता रहा हूं. पुल्लिंग का मतलब पुरूष का प्रतीक, स्त्रीलिंग का मतलब स्त्री का प्रतीक और उभयलिंग मतलब पुरूष और स्त्री का एकात्म प्रतीक.
ये सब लिखने का बस एक ही मकसद है कि बड़े-बड़े महंत सनातन परंपरा के मूढ(मूर्ख) है जो कहते है कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता है. ऐसा नहीं है सनातन में तीन मुख्य धारायें है. शिव के उपासक शैव. विष्णु के उपासक वैष्णव और शक्ति के उपासक शाक्ति. इसी प्रकार इन तीन धाराओं में 33 प्रकार के देवता है.
दरअसल, बड़े-बड़े बाबाओं ने इस द्विअर्थी बात को अभी तक नहीं समझा और लोगो में अज्ञान बांटते रहते है तो इसलिए मैने अनर्गल की स्पष्टता को जगजाहिर करने का थोड़ा सा प्रयास किया. साधुवाद
#ओजस