मै भारत के एक धर्म इस्लाम की प्रार्थना हूं. लोग अल्लाह को भूल ना जाएं इसलिए पैगम्बर ने दिन के सात पहरों में केवल दो पहर छोड़कर बाकी के सभी पहर में अजान करने का एक सख्त नियम बनाया था. ईश्वर या अल्लाह या सुप्रीम पावर को याद करते रहना तकरीबन सभी मजहबों में है. दुनिया के सारे धर्मग्रंथ विनम्रता और आशीष पाने के लिए ईश्वर की पूजा अर्चना करने की बात कहते है.
मै ऊं का छोटा भाई हूं. इस सृष्टि में ऊं शब्द का उच्चारण असंख्य बार हुआ है. जब भी कोई साफदिल इंसान ऊं का उच्चारण करता है उसकी सुरक्षा के लिए ऊं के स्वर की अनादिकाल की संरक्षित ध्वनि ऊर्जा एक कवच की तरह उसकी सुरक्षा के लिए उसके चारों तरफ आ जाती है.
मै जब छोटा था तो ऊं से तकरार हो जाती थी क्योंकि उस समय मेरी उम्र कम थी और मै नादान था. मेरे बड़े भाई की वाहवाही चारों तरफ होती थी और मुझे यानी अजान को बहुत कम लोग जानते थे.
मेरे बड़े भाई ऊं को हिंदुत्व का संरक्षण मिला था और मुझे इस्लाम से हिफ़ाज़त. बड़ा होने के बाद मैने कभी भी अपने बड़े भाई की आलोचना नहीं की. मै हमेशा अपने बड़े भाई के आदर्शों पर चलने का मुस्तैद बनता रहा.
विचारशील लोग बहुत आते हैं इस धरती पर. सबका अपना तरीका होता है. कोई मुझे आत्मसात कर संतुष्ट हो जाता है तो कोई मुझे निरर्थक भी समझता है. जो मुझे बेमतलब समझते हैं, उनके प्रबल विश्वास के आगे मै झुक जाता हूं. अल्लाह के एक बेटे और समाज सुधारक कबीर ने तो कहा था कि क्या खुदा बहरा है जो उसे पुकारने के लिए हमें तेज ध्वनि में अजान पढ़नी पड़े. अब मै उन्हीं की बात को ज्यों का त्यों बता देता हूं. कबीर ने कहा था;
काकर पाथर जोड़ी के,
मस्जिद लियो बनाय.
ता चढ़ मुल्ला बाग दें;
क्या बहरा हुआ खुदा.
कबीर को मै बाग देने जैसी लगती थी. ये उनकी सोच थी. वो एक निर्गुण भक्ति शाखा के कवि थे इहलिए उनके विचार पर कमेंट करना अनुचित सा लगता है.
जो लोग ऊं को और मुझे अलग समझ रहे हैं. वो बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं. हम एक थे और एक रहेंगे.
#ओजस #azaan