इस देश में बहुत सी निर्भया आज भी है, जिन्हें इंसाफ़ नहीं मिल रहा. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस खबर को दिखाते हुए अत्यधिक संवेदनशील हो गया. इसे दिखावा माना जाए या स्वाभाविक.
न्यूज में एक काॅपी मिली, जिसमें उत्तराखण्ड की एक 8 साल की मासूम के साथ रेप हुआ और शव को गंगा में फेंक दिया गया. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम में बलात्कार के बाद हत्या होने की रिपोर्ट आई.
मै आज एक नई शुरूआत करता हूं,. उस मासूम के लिए कैंडल अपने रूम पर जलाता हूं.
देश में हर रोज ऐसी वारदातें हो रही है. जो नहीं होनी चाहिए. हमारी न्यायिक व्यवस्था बड़ी उदासीन है. जिन लोगो ने पैरालंपिक छात्रा ज्योति पाण्डेय को अधमरा करके बस से फेंक दिया. उनको पांच साल जीने का अधिकार दिया गया. ये निर्णय बहुत पहले होना चाहिए था.
सामाजिकता की गद्दी पर बैठने वाले लोग भी ये तय करें कि बलात्कार जैसा संवेदनशील मुद्दा सामाजिक अस्मिता को मार देता है. अगर इव टीजिंग और इंसानी चेहरे में छिपी हैवानियत को खत्म करना है तो हमें ऐसी प्रत्येक गतिविधियों पर एक्शन लेना होगा. आंदोलन जारी रहना चाहिए, ये एक दिन का विरोध प्रदर्शन नहीं है.
#ओजस