अपनी करनी पर पश्चाताप करना मुझे नहीं आता. जिन हालातों में मै इस क्षेत्र में आया. वो दूरदर्शी बिलकुल भी नहीं था. मुझे शहर का रवैया पता था, लेकिन दिलवालों की दिल्ली के सामाजिक रवैए और बड़े लेखकों द्वारा हंस इत्यादि पत्रिकाओं में बताई गई दिल्ली की सूरत बहुत अलग थी.
लोग पत्रकारिता के क्षेत्र में पाॅलिश होने के लिए आते हैं. मै पत्रकारिता में एक भयंकर अवसाद को पालने वाला, सुस्त और गतिहीन लेखक बन गया.
सही लिखना उद्देश्यहीन नहीं होता और राहें किसी गूंगे का इतिहास नहीं लिखती. इन राहों पर चलना मेरे लिए इतना मुश्किल नहीं है. फिर भी मै खुद से नजरे नहीं मिला पाता.
मै हमेशा ईमानदारी और करनी में भरोसा रखता हूं. मै दूसरों से ईर्ष्या नहीं रखता लेकिन कभी-कभी अपने बर्ताव से लाचार होना पड़ता है.
क्रिकेट के ग्राउंड में प्रदर्शन ना कर पाना, लड़ाई के मैदान में परास्त होने के पहले का समय, प्रतियोगिता में असफल होने से पहले एक युवा को इतनी तकलीफ नहीं होती होगी. जितनी एक उद्देश्यहीन युवा को असमंजस के चौराहे पर खडे़ होने में लगती है.
आखिरकार एक उद्देश्यहीन युवा किस तरफ जाए.
#ओजस