(मेरे एक मित्र ने कहा यूपी में परिवर्तन की लहर है, रामराज्य है वहां पर. मैने कहा, बिलकुल नहीं)
चलिए आज तुलनात्मक अध्ययन करते हैं. राम और इस दौर के मानक राम की.
त्रेतायुग में एक युवा महिला सम्मान के लिए एक देश के साथ युद्ध करता है. एक ब्रिगेडियर हनुमान सीता को पूरे भारतवर्ष की प्रतिष्ठा समझता है और पूरी श्रीलंका को जलाकर राख कर देता है.
इस दौर में भी कई लोगों को राम समझने की भूल हो रही है. राम के समाज में कोई अत्याचारी सत्ता में नहीं आने दिया जाता था. राम के दौर में सरेआम अपराध की घटनाएं नहीं हो जाती थी. राम के शासन इसीलिए आदर्श शासन कहा जाता है कि राम भारतवर्ष के एक आदर्श युवा थे.
राम ने एक दलित निषादराज को अपना साथी बनाया था और आज के दौर का राम ऐसा नहीं कर पा रहा है. सहारनपुर में बहुत सारे दलित बौद्ध धर्म स्वीकार करने पर मजबूर हो रहे हैं.
राम ने प्रजा को राजकीय मामलों में दखल देने की इजाजत दी थी, लेकिन अब वो स्थितियां नहीं बनाई जा सकती हैं.
आज के तथाकथित राम जब किसी जिले के दौरे पर जाते हैं तो दो दिन पहले उस जिले को चमका दिया जाता है.
– अभिजीत पाठक (विश्लेषक)