जहां मै रहता हूं, वहाँ का परिवेश बहुत अच्छा है. परिवेश हमारे बौद्धिक पक्ष को मजबूत करता है. परिवेश में जो कुछ भी हम देखते हैं, उन्हीं से सीखते हैं. एक ही घटनास्थल, घटनाक्रम और घटना को देखने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं.
इस बीच लेखकीय अभिरूचि ये जानने की होती है कि इस पूरे वाकये का कितना सामाजिक सरोकार बनता है. जिसे न्यूज वैल्यू या न्यूज सेन्स कहकर समझाया जाता है.
एक लेखक की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वो जो लिखे उसे पढ़ने के बाद किसी व्यक्ति को प्रेरणा मिले, जिस जगह के बारे में लेखक लिख रहा है; वो मशहूर बनें. अन्यथा लिखने का क्या प्रयोजन.
नोएडा सेक्टर-12 में रहते हुए मुझे 3 महीने हो चुके. मेट्रो हास्पिटल के इर्द-गिर्द का माहौल बड़ा ही आकर्षक है.
रौनक की तो पूछिए मत. सुबह अगर पार्क में बैठ जाइए तो राजनीतिक, खेल-जगत और खासकर पाकिस्तान के हमारे रिश्ते और पाकिस्तान का मैत्री अनुशासन भंग करते रहने की बातें सामने आ ही जाती है.
खैर, अगर थोड़ा प्रगतिशील होऊं तो यहां बहुत कुछ देखने को मिला. इन अनुभवों पर मै लिखना शुरू कर रहा हूं. आप सभी के आशीर्वाद की जरुरत होगी.
अंतर्ववस्तु का शीर्षक मैने ‘क्यों आबोहवा बदल रही है’ रखा है. आप सभी के आलोचनात्मक टिप्पणियों के इंतज़ार में; 🙂