पुराने को खारिज करना आधुनिकता नहीं हो सकती. अगर आपको लगता है कि आधुनिक काल ही आधुनिकता के अध्याय जोड़कर एक किताब रचने की कोशिश में लगी है तो आप बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं.
दरअसल आज से करोड़ों साल पहले जब जंगलों की भाषा प्राकृत और सभ्य समाज की भाषा संस्कृत हुआ करती थी. उस समय संस्कृत वाले अपने आपको प्राकृत विद्वानों से ज्यादा आधुनिक मानते थे.
हमें आधुनिकता की समझ विकसित करने के लिए अध्ययन की गहराईयों में गोते लगाने की जरुरत है. जवान चेहरा हमेशा आधुनिक बनता है, इसका मतलब ये बिलकुल नहीं हुआ कि उम्रदराज चेहरे कभी जवान और आधुनिक नहीं रहे होंगे.
आइए अपनी विकृतियों को रचनात्मक बनाएं और आधुनिकता पर अंतिम चर्चा करें. मै इतना ज्ञानी नहीं हूं कि 10 किताबों की भाषा प्रवाह की तलैया से आधुनिकता के मायने बता पाऊं.
प्रयास ये होना चाहिए कि जिस युवा शक्ति के भरोसे विवेकानंद दुनिया बदलने चले थें. वो युवा शक्ति प्राथमिक कामों को तवज्जो देने से कतरा रही है.
भारतीय समाज हमेशा आधुनिक रहा है. दुनिया में व्यवहारवाद का जन्म भाषाओं से हुआ. सांकेतिक भाषा कितनी देर टिक सकती है. अतुल्य तो है लेकिन इसका जीवनकाल बहुत छोटा होता है. प्रेम का जीवनकाल भी सांकेतिक भाषा की ही तरह लघु होता है.
शब्द शक्ति तीन तरह की होती हैं. अभिधा, लक्षणा और व्यंजना. अब आप ये सवाल किजिए कि आधुनिकता की समझ शब्दशक्ति से कैसे आएगी. तो इस पर मेरा सपाट और साफ जवाब ये है कि दुनिया की हरेक चीज एक दूसरे के संपर्क में लाई जा सकती हैं. ये तब तक हो सकता है जब तक अरेंज मैरेज अस्तित्व में है. अरे हाँ भाई, बिल्कुल सही कह रहा हूं मै.
आधुनिक समाज में अरेंज मैरेज एक प्रथा की तरह है जो आधुनिकता को खड़ा कर देती है. आधुनिकता रूकने का मतलब हुआ कि अभी भारतीय समाज आधुनिक नहीं बन पाया है. जितने आधुनिक राम और सीता थें; उतने भी नहीं.