जिस मीडिया इंडस्ट्री में मै काम कर रहा हूं. वो अपने आप में एकाकी है. महज दो साल में एक पत्रकारिता का विद्यार्थी बहुत सारी चिजों से अनभिज्ञ रहता है. उसके बाद भी जिस प्रेरणा और सहयोग की जरुरत मुझे न्यूजस्ट्रीट में मिल रही है. वैसी इंडिया टुडे ग्रुप में नहीं मिली.
इंटर्नशिप के दौरान ही मुझसे ये उम्मीद लगाई जाने लगी कि मै उम्रदराज लोगों के समान काम कर सकूं. कोई भी सूचना छिपाने के लिए नहीं होती, इसलिए मै अपने कुछ अतीत के पन्नें खोल देना चाहता हूं.
इंडिया टुडे मीडिया इंस्टिट्यूट में पढ़ाई के दौरान मैने किताब दर किताबें पढ़ी. इसलिए कि अध्ययन ही मेरी मजबूती का संबल बनने में कारगर हो सकता है. लेकिन ये सारी आशाएं नाउम्मीदी में तब्दील हो गई. इसके बाद भी मैने कभी अपने शिक्षकों के बताए गए रास्तों या फिर उनके मार्गदर्शन को अपने जीवन में लागू करने से बिलकुल भी कतराया नहीं.
संवाद कौशल की कमी ने मुझसे प्रश्न पूछे. लेकिन मै निरूत्तर था, मौन था; और विचलित मनोदशा का एक पुरोधा.
#ओजस