#रश्मि मेरा कोई नया सृजन नहीं है. #नेह और #अर्पण के समानान्तर एक खींची गई लकीर है. ये उसी का प्रतीकात्मक रूप है. मेरी दुनिया अगर सत्पथ की है तो ईश्वर भी फासलों को निभाने वाले शख्स का कुछ तो खयाल रखेगा. कलम से वैचारिक लड़ाईयां लड़ी गई है. ये मेरी लड़ाईयां नहीं है. ये तो ह्रदयांतर की क्रांति है. जो साफ और बेबाक बोलने का युगधर्म निभा रही है. मै समय पर यकीन नहीं करता. समय से लड़ना जानता हूं. मेरे आंसुओं और गम में अगर समय ठहरता नहीं होगा. तो समय भी झूठ बोल रहा है और दुनिया का कोई आदमी जो झूठ बोलता हो उस पर यकीन करना मूर्खता है.
#ओजस