गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर के बयान “मै गोवा में बीफ कम नहीं होने दूंगा” से ऐसा नहीं लगता कि एक सीएम नहीं बूचड़खाना की दुकान वाला अपनी दुकानदारी चलाते हुए बोल गया हो.
दूसरी तरफ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान ” अब अवैध बूचड़खानों की खैर नहीं” से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीजेपी में दो राजनेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र के लोगों की बहुसंख्य आबादी को देखते हुए राजनीति की कलई में खुद को डुबो दिया हो.
इसके लिए जवाबदेह पीएम मोदी हैं. अब वो तय करें कि 2019 के चुनाव का आधार क्या बनाएंगे. तब उन्हें गोवा और यूपी के क्षेत्रीय राजनीतिक हितों के ऊपर उठकर सोचने की जरुरत पड़ेगी. पीएम मोदी यहां फेल हो जाएंगे क्योंकि वो ना तो सीएम योगी के अवैध बूचड़खानों को बंद करने के फैसले पर उनकी पीठ थपथपा पाएंगे और ना ही बीफ की कमी ना होने देने वाले मनोहर पर्रिकर की तरफदारी. अब इस पर कांग्रेस को सुनहरा मौक़ा मिल रहा है जहाँ वो बीजेपी के चरित्र हनन पर भारत के लोगों को पार्टी के मनसूबों से वाकिफ करा पाएंगे.
कांग्रेस की सशक्तिकरण का ये सुनहरा मौक़ा भी कहा जा सकता है. जब उनके दो पहरूए द्विदिशात्मक बयानबाजी कर रहे हो. एक बूचड़खाने बंद करवाने पर जोर दे रहा है तो दूसरा बूचड़खानों में पर्याप्त मात्रा में बीफ पहुंचाने का जिम्मा लेने पर आमादा है.
यहां एक सवाल ये भी है कि पीएम मोदी लोगों को बरगलाने की राजनीति से ऊपर कब उठेंगे. और अगर वो तय कर चुके हैं कि ऊपर उठना ही नहीं है तो आमजन को नीचे धकेलने की गलती क्यों कर रहे है. ये उनकी प्रगति में रोड़ा डाल सकता है.
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