पीएन ओक ने अपनी किताब “ताजमहल ए हिन्दू टेम्पल” में 100 से भी अधिक कथित प्रमाण और तर्क देकर दावा किया है कि ताजमहल वास्तव में शिव मन्दिर था। जिसका असली नाम ‘तेजोमहालय’ था। ओक साहब यह भी मानते हैं कि इस मन्दिर को जयपुर के राजा मानसिंह(प्रथम) ने बनवाया। जिसे तोड़कर ताजमहल बनाया गया। इस सम्बन्ध में उनके तर्क विचार करने योग्य हैं-
-किसी भी मुस्लिम इमारत के नाम के साथ कभी महल शब्द प्रयोग नहीं हुआ है।
-‘ताज’ और ‘महल’ दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।
-संगमरमर की सीढ़ियाँ चढ़ने के पहले जूते उतारने की परम्परा चली आ रही है। ऐसा मन्दिरों में प्रवेश पर होता है, जबकि सामान्य तौर पर किसी मक़बरे में जाने के लिये जूता उतारना अनिवार्य नहीं होता।
-संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित हैं तथा उसके ऊपर 108 कलश आरूढ़ हैं, हिंदू मन्दिर परम्परा में 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है।
-ताजमहल शिव मन्दिर को इंगित करने वाले शब्द ‘तेजोमहालय’ शब्द का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मन्दिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे।
-ताज के दक्षिण में एक पुरानी पशुशाला है। वहां तेजोमहालय के पालतू गायों को बाँधा जाता था। मुस्लिम कब्र में गौशाला होना एक असंगत बात है।
-ताज के पश्चिमी छोर में लाल पत्थरों के अनेक उपभवन हैं। जो कब्र की तामीर के सन्दर्भ में अनावश्यक हैं।
-ताज परिसर में 400 से 500 कमरे तथा दीवारें हैं। कब्र जैसे स्थान में इतने सारे रिहाइशी कमरों का होना समझ से बाहर की बात है।
इतिहासकार पीएन ओक द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इंडियन नेशनल आर्मी में थें। उन्होंने जापानियों के संग अंग्रेज़ों से लड़ाई की थी। इन्होंने कला में एमए और एलएलबी की डिग्री मुंबई विश्वविद्यालय से हासिल की। 1947 से 1953 तक वे हिंदुस्तान टाइम्स और द स्टेट्समैन न्यूज़पेपर में रिपोर्टर का काम किया। 1953 से 1957 तक इन्होंने भारतीय केन्द्रीय रेडियो और जन मंत्रालय में कार्य किया। 1957 से 1959 तक उन्होंने भारत के अमरीकी दूतावास में भी कार्य किया।