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#GorakhpurTragedy
जांच किए बगैर और बिना किसी तथ्य के एक दिन में योगी सरकार ने दो बार झूठ बोला. पहली बार तो उसने अपने आॅफिशियल ट्विटर अकाउंट से लिखा कि गोरखपुर बीआरडी मेडिकल हाॅल में बच्चों की मौत का खबर भ्रामक है. जबकि वहां के डाॅक्टर कफील बच्चों के दम तोड़ने के दौरान अस्थाई आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था में लगे थें.
दूसरा झूठ ईमानदार छवि के भारतीय जननेता लाल बहादुर शास्त्री के पोते और सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बोला, उन्होनें प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आक्सीजन की सप्लाई रूकी थी लेकिन मौतें सप्लाई रूकने की वजह से नहीं हुई. उन्होनें इस दौरान आपत्तिजनक भी बोला, अगस्त में तो मौतें होती ही हैं. फिर सीएम योगी आदित्यनाथ भी जाग गए और उनको समझ में आया कि इंसेफेलाइटिस में आक्सीजन की सप्लाई रुकने से मौतें नहीं हुई होंगी. इसकी वजह तो गंदगी ही है और उन्होनें ने भी आपत्तिजनक बयान दे ही दिया.
कुल मिलाकर बीजेपी जनवादी बनने के चक्कर में बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर अपनी कलई खुलने नहीं दिया.
कोई सरकार हो मंत्री हो या फिर भगवान ही क्यों ना हो उसे कोई हक नहीं बनता कि निर्मम तरीके से गोरखपुर की हत्याकाण्ड को मौत का नाम दे. हत्या तो हुई है और हत्यारे भी जालसाजी कर रहे हैं.
आने वाले दिनों में पूर्वांचल का एक त्यौहार आएगा, छठ. इस व्रत में मांए अपने बेटों के उज्जवल भविष्य की कामना करती है, सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. सीएम योगी साहब ये माएं अपने बच्चों के हत्यारों के बुरे दिन के लिए मिन्नते मागेगी और अपने आंसुओं से सूर्यदेव को अर्घ्य देंगी.
किसी नागरिक को जननेता को या फिर सरकार को मेरे कहे पर मानहानि हुई हो तो मुझे जेल में डाल दें.