(धारा के विरूद्ध संघर्ष का संकल्प)
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चुनाव आते ही भारतीय राजनीति डेरा सच्चा सौदा की तरह ही बहुत सारे आश्रमों और डेरों के शरण में पहुंच जाती है। आप इस पर विचार करेंगे तो पाएंगे कि जिस गुरमीत राम रहीम पर 2002 में ही रेप जैसे दुर्दिम अपराध से संबंधित आरोप पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को सौंपी जा चुकी थी, उस आरोपी के पास भारतीय राजनीति पहुंचने में बिल्कुल भी नहीं हिचकती थी। जिस आरोप पर सीबीआई को जांच सौंपी जा चुकी थी उसके साथ राजनेता सेल्फी लेकर उस महिला के तकलीफ को निसंदेह और हरा करने की कोशिश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते थे।
क्या राजनीति में वोट पाने का ऐसा तरीका अख्तियार करना उचित है। हां, ऐसा तब बिल्कुल मुमकिन है जब आप संवेदनशीलता को पूरी तरह से ताक पर रख दे। संवेदनहीन लोगों ने जब-जब भारतीय राजनीति की दावेदारी की है, ऐसी स्थितियां बन पाई है।
वो लोग बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं जो ये सोचते हैं कि डेरा सच्चा सौदा केवल धार्मिक श्रद्धा से लबालब था। ऐसा तो है ही लेकिन इन डेरों को राजनैतिक श्रद्धा भी मिलती थी।
(बदलाव की उम्मीद के साथ)