(डायरी से)
लगातार ईंटे ढोकर इमारत बनाई जाती है. इसके निर्माण में सबका सहयोग अपने-अपने स्थान पर महत्त्वपूर्ण होता है. कोई ईंटें जोड़ने का काम कर रहा होता है. कोई सामान इकट्ठा करता है तो कोई उसको सजाने की व्यवस्था बना रहा होता है.
दायित्वबोध की चिंता सबको होती है और होनी भी चाहिए. सबकी अपनी क्षमताएं होती हैं. आज NYOOOZ में काम करते हुए मुझे सात महीने पूरे हो गए. बड़ों का अपार स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहता है.
मै अपने काम के प्रति हमेशा ईमानदारी बरतने की कोशिश करता हूं. अगर कोई इस अंतर्वस्तु(Content) पर बात करे कि NYOOOZ के प्रांगण में अब तक मैने क्या खोया-क्या पाया तो निश्चित तौर पर मेरा सटीक और साफ जवाब होगा ‘एक बेहतर आसमान’.
महत्वपूर्ण बात ये है कि हमारे सेनापति हमें समय-समय पर जो मार्गदर्शन देते हैं, वो संपादकीय विवेचनाओ को नई राह दिखाने वाली ऊर्जा से ओतप्रोत कही जा सकती है.
मै अपने सामर्थ्य के हिसाब से NYOOOZ की इमारत के लिए और ईंटें ढोने की कोशिश करूंगा. मुझे पूरा भरोसा है कि जब इसकी ताजदारी होगी तो इर्द गिर्द के प्रतियोगी इसकी मिसालें देते फिरेंगे.
#NYOOOZ