राम हिंसा की नींव पर बनाई मंदिर में रहना पसंद करेंगे!

(धारा के विरुद्ध संघर्ष का संकल्प)

25 साल बीत गए. बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने के बाद अयोध्या में मंदिर की स्थापना अभी तक नहीं हो पाई. मै भी राम का अनन्य भक्त हूं. राम, अयोध्या, इतिहास और इस्लाम समेत सनातन के वेद, पुराण और उपनिषद को पढ़ने-समझने की भरपूर कोशिश की है.

वाल्मीकि ने रामायण में ‘राम’ के बारे में लिखा है कि;

ईक्ष्वाकुवंश प्रभवो रामो नाम जनै: श्रुत:,
नियतात्मा महावीर्यो धृतिमान् द्युतिमान वशी:.

मतलब राम राजा ईक्ष्वाकु के वंश में सबसे लोकप्रिय शासक थे. जो योद्धा, बुद्धिमान और आत्मसंयमी थें.

जहां तक मै समझता हूं, राम के बारे में भारत के सभी धर्मों के लोग थोड़ा बहुत तो जानते ही होंगे. जिस राम ने पारिवारिक तालमेल(सौहार्द) के लिए घर बार छोड़कर 14 साल जंगल में बिताए. उनके माथे पर उनकी प्रतिष्ठा और मंदिर निर्माण के नाम पर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, हिंसा करवाने, मरने-मारने पर उतारू करवाने का कलंक बीजेपी के चंद नेताओं, कार सेवकों और हिंदुत्व के संरक्षकों ने लगा दिया.

जहां तक मै राम को जानता हूं ऐसे कलह और द्वेष से उपार्जित घर में जगन्निवास कदापि नहीं रहना चाहेंगे.

राम का जीवन हमें तमाम सबक देता है. राम अपने छात्र जीवन में विनम्र थे. विनम्र होने का मतलब अनुशासन पालना भी है. किसी दूसरे के ईष्ट के घर को तोड़ देना कभी भी अनुशासन नहीं कहा जा सकता है.

तुलसीदास राम महिमा में लिखते हैं कि;

कोसलेंद्रपदकंजमंजुलौ, कोमलावज महेश वंदितौ;
जानकीकर सरोजलालितौ, चिंतकस्य मन भृंगसंगिनौ.

तीनों लोकों में जिस राम के यश और कीर्ति की आराधना होती है, वो किसी धरती के एक हिस्से की दावेदारी के लिए किसी से मांग नहीं कर सकते. राम को मनमंदिर में रखिए, राम आपको हिंसा और द्वेष से कोसों दूर कर देंगे.

अगर भारत में लोकतंत्र एक फीसदी भी लागू होता तो ऐसी परिस्थितियाँ कभी नहीं बनती. सोच कर देखिए! अगर रामजन्म भूमि के ठीक ऊपर मस्जिद बनाई गई तो उस विवादित ढाँचे को पूरी तरह से विवादित साबित किए बगैर ही उसे गिराना उचित था! कोर्ट की अवमानना, लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है?

मैने आज एक रिपोर्ट पढ़ी जिसमें लिखा था कि बाबरी मस्जिद गिराने के बाद पाकिस्तान में 100 मंदिर गिरा दिए गए थे. भारतीय संविधान के मुताबिक भड़कीला भाषण आपराधिक है. आप आसानी से आडवाणी और वाजपेयी के उन्मादी भाषणों को सुन सकते हैं.

हिंदू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवतगीता में लिखा है कि सभी प्राणियों के भीतर ईश्वर का अंशमात्र होता है. भारत में लोगों का निम्न स्तरीय जीवन राम को कभी भी पसंद नहीं आएगा. सबसे पहले उस पर काम करने की जरुरत है. राम ने अपने शासनकाल में स्रर्वांगीण विकास पर बड़ा काम किया था, राम का अनुसरण कर स्थितियां सुधारी जा सकती है. जिस दिन समाज में प्रेम और सौहार्द पनप जाएगा, राम हर जगह रमण करने लगेंगे.

कहौं कहां लगि राम बड़ाई,
राम न सकहि नाम गण पाई.
धन्य है राम!
#ओजस

Published by Abhijit Pathak

I am Abhijit Pathak, My hometown is Azamgarh(U.P.). In 2010 ,I join a N.G.O (ASTITVA).

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